वाह जी वाह एक बात बतऒ कही आपने मेरी .... से तो नही बात की थी क्युकि कल यही बात मै उनको सुना रहा था , आज आप्ने लिख दिया :) अरे नही ओम भई मजाक कर रहा था . nice one really!!!!
kahta hai bina chand liye nahi utrega.....dil hai ke manta nahi par kya kare...aise to chand tare na tootenge apne aap...har do kadam pe apni bhi taqdeer chihye....
यहाँ आकर जीने मे बैठ जाना कविता को नये अर्थ देता है..और चार चाँद (बिना माँगे) लगा देता है इस आरजू की शिद्दत को.. ..न जाने कितनी ख़्वाहिशें जो न छत पे जा सकती हैं और न ज़मीन पर आना चाहती हैं..बस जीने में बैठी रहती हैं..नाराज और उदास!! खूबसूरत भाव..ऐज यूजुअल टु यू..
31 comments:
vाह वाह ओम जी ये दिल ऐसी नादानियां ही करता है बहुत सुन्दर कम शब्दों मे बडी बात शुभकामनायें
Prem aur ehsaas darshata hua sundar rachana..
kaise utalega bina chand liye jab chand se ishak ho gayi hai use..
badhiya abhivyakti..badhayi.
दिल ही तो है..जो मौन के खाली घर में हलचल बनाए रखता है। बहुत खूब
आशिक है, चोर नहीं
दिल पे किसी का जोर नहीं
dil bhi na jaane kya kya khwahishein karta hai
bahut khuub...
Itne khayalat, itnee rachnayen hain,aapke paas...ghar khaalee na man khalee...!
हजारो ख्वाहिशे ऐसी कि हर खवाहिश पर दम निकले।
वाह्…………मज़ा आ गया।
कभी कभी ऐसी नादानिया कितनी खूबसूरत होती हैं ।
मैने आज एक नया ब्लोग शुरु किया है ।पधारने का कष्ट किजियेगा।
http://ekprayas-vandana.blogspot.com
वाह जी वाह
एक बात बतऒ कही आपने मेरी .... से तो नही बात की थी क्युकि कल यही बात मै उनको सुना रहा था , आज आप्ने लिख दिया :) अरे नही ओम भई मजाक कर रहा था . nice one
really!!!!
बहुत सुन्दर, शुभकामनायें.......
kahta hai bina chand liye nahi utrega.....dil hai ke manta nahi par kya kare...aise to chand tare na tootenge apne aap...har do kadam pe apni bhi taqdeer chihye....
pyaari zidd hai...dil hi to hai
achachha hai.......kahne ka andaj bahut bhaya.
Navnit Nirav
मासूमियत से भरी रचना! ऐसी नादानियाँ सभी को अच्छी लगती है! इसे कहते हैं सच्चा प्यार! अत्यन्त सुंदर और प्यार से भरी रचना !
dil hai ki maanta nahin,
ise upar chadhaya hi kyun tha , chand dikhane ke liye. ab bhugto.
"दिल भी इस ज़िद पे अडा है
किसी बच्चे की तरह,
या तो सब कुछ ही मुझे चाहिये
या कुछ भी नहीं"
बहुत सुन्दर.
बहुत ख़ूबसूरत...
वाह जी वाह !!!! सुन्दर. शुभकामनायें.
ओम जी, दिल तो नादान ही होता है। वैसे आपने दिल की नादानी को बहुत सलीके से बयां किया है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
that was such a sweet poem!!!
YE NADAANI HI TO JEVAN HAI OM JI ... POORI JINDAGI KAM HAI IS NAADAANI PAR ..... LAJAWAAB LIKHA HAI ...
छत से उतर कर जीने पे बैठ गया आखिरकार
यहाँ आकर जीने मे बैठ जाना कविता को नये अर्थ देता है..और चार चाँद (बिना माँगे) लगा देता है इस आरजू की शिद्दत को..
..न जाने कितनी ख़्वाहिशें जो न छत पे जा सकती हैं और न ज़मीन पर आना चाहती हैं..बस जीने में बैठी रहती हैं..नाराज और उदास!!
खूबसूरत भाव..ऐज यूजुअल टु यू..
कहता है
बिना चाँद लिए उतरेगा नही
वाह ओम आर्य जी,बहुत सुन्दर
आह!! ये नादान दिल! बावरा.
बड़ी मासूम सी जिद्द है...दिल आखिर नादाँ दिल जो है!
मासूम दिल की नादाँ से जिद अच्छी कविता में ढल गयी है ..!!
abe utar bhi jaa nahii .to zindgii bhar royegaa yahi baitha baitha
LOL
nice one really...
om ary ji,
sabse pahale shukriya ki aap mere blog par aaye...
aur ab apka ye naadan dil...aisi hi chahten karta hai...bahut khoobsurat shabd diye hain...badhai
ye dil aisi naadani baar baar karna chahega......
par chaand leke hi maanega.....
bahut oomda kavita...... chote se shabdon mein unfathomic bhaav.......
Gr8.........
touched up.......
(Sorry for late commenting...... aajkal thodi si vyastta badh gayi hai..... Once again sorry.....)
ओम जी,
शब्दों की जादूगरी कोई आपसे सीखे मितव्ययता भी। कमाल करते हैं दिल तो आखिर दिल है।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
कहता है
बिना चाँद लिए उतरेगा नही
..वाह ओम भाई... ऐसे जादुई शब्द आप ही इस्तेमाल कर सकते हैं... कमाल की रचना...
वाकई यह दिल नादान है
मचलता हे
क्भी गिरता है
तो कभी सम्भलता है
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