jab wo dundhti hai mujhe ankho me nami hoti hai..mahsoos use har waqt meri kami hoti hai....ankho me chhipe khwab jab bhi khol ke dekhti hai...rone se bah na jaye sochti hai....
क्या बात है सर जी..दनादन बारिश हो रही है आजकल..मस्त है मगर ..सपनो का भी तो कुछ ऐसा ही हाल होता होगा जिनको बेघर कर दिया गया..और देखिये अश्कों ने जबरन् कब्जा कर डाला..घर खाली पड़ा देख कर.. वैसे आंखो से बाँध कर सपने ले जाने की उपमा प्रभावी बन पड़ी..ऐसे बहुत से पराये सपने आँचल मे भी बँधे रहते होंगे..एक घर से दूसरे घर जाते वक्त..रोने की जो जरू्रत पड़ती होगी वहाँ
om ji ! bahut hi pyari kavita hai...apke bimb itne achhute aur naye hote hain k rooh khil jati hai....is kavita me bhi aankhon se sapne baandh kar le jane ka ahsaas aur fir unhe khol kar dekhna...bahut hi pyare aur naye bimb hain..... aap sach me bahut badhia likhte ho.....amarjeet
ओम, देखना चाहता हूँ आपकी कलम, आपकी डायरी...ये जादू इकलौता आपका नहीं हो सकता। न!! कोई तिलिस्म है उस कलम में भी या उन डायरी के पन्नों में भी जो पोस्ट दर पोस्ट हमपर माया करती रहती है इन नज़्मों के जरिये...
कैसे लिखते हो आप सचमुच इतना सारा इतनी जल्दी और इतनी खूबसूरती से कि जलन होने लगे...
32 comments:
jab wo dundhti hai mujhe ankho me nami hoti hai..mahsoos use har waqt meri kami hoti hai....ankho me chhipe khwab jab bhi khol ke dekhti hai...rone se bah na jaye sochti hai....
क्या बात है सर जी..दनादन बारिश हो रही है आजकल..मस्त है मगर
..सपनो का भी तो कुछ ऐसा ही हाल होता होगा जिनको बेघर कर दिया गया..और देखिये अश्कों ने जबरन् कब्जा कर डाला..घर खाली पड़ा देख कर..
वैसे आंखो से बाँध कर सपने ले जाने की उपमा प्रभावी बन पड़ी..ऐसे बहुत से पराये सपने आँचल मे भी बँधे रहते होंगे..एक घर से दूसरे घर जाते वक्त..रोने की जो जरू्रत पड़ती होगी वहाँ
बहुत खूबसूरत...
सपने बाँध कर ले जाने वाला तो रोयेगा ही। शायद जब उसने खोल कर देखे हों तो वापिस करने भी तो आ सकता है । बहुत बहुत शुभकामनायें कोई आपके सपने लौटाने आये
सपने बाँध कर ले जाने वाला तो रोयेगा ही। शायद जब उसने खोल कर देखे हों तो वापिस करने भी तो आ सकता है । बहुत बहुत शुभकामनायें कोई आपके सपने लौटाने आये
वो आएगा मेरे सपनो को लौटाने.
ओम जी ,
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है.....बधाई
सपने तो अपने रहने देते.
सपने बहुत रूलाते है.
kamaal om ji ek aur kamaal .... aapki kalam se nikli har baat kamaal hoti hai ...
sapno ko apne saath le gayee ..... ab vo bhi un sapno mein jeeti hogi .... pal do pal ki khushi paa leti hogi .... kamaal ki abhivyakti hai...
in chand panktiyon mein jane kitne khwaab hain.........bahut hi badhiyaa
थोड़े शब्द, बहुत कुछ कहते हैं।
भाव के झरने आपके ब्लॉग पर बहते हैं\
वो ज़रूर वापस आएगा एक दिन सपनों को साथ लिए आपके भी, उसके भी. सपनों के साथ होने की कविता ज़रूर लिखेंगे आप ऐसा विश्वास है.
बहुत सुन्दर छंद, मगर आपको कैसे मालूम कि अब वो रोती है उसे देखकर ?
om ji ! bahut hi pyari kavita hai...apke bimb itne achhute aur naye hote hain k rooh khil jati hai....is kavita me bhi aankhon se sapne baandh kar le jane ka ahsaas aur fir unhe khol kar dekhna...bahut hi pyare aur naye bimb hain.....
aap sach me bahut badhia likhte ho.....amarjeet
bahut khub
जब कभी
अब वो
खोल कर देखती है उन्हे
रोती है
speech less.......
भाई कैसे लिख लेते हो इतना अच्छा और इतनी जल्दी. मैं तो हत्प्रभ हूं!
tension mat lo OM bhai.. sapne khol kar dekh liye na usne... ab wo wapas karne bhi jaroor aayegi..
gahan bahv.
bahut khoob, badhaai.
दरअसल,
मेरे जो ख्वाब वो बाँध के ले गयी थी
उन्हें जब खोल कर देखा तो पाया कि
वो सारे ख्वाब उसी के लिए तो सजाये गए थे
इसलिए रोती है...
और मैं जानता हूँ कि वो रोती है, क्यूंकि जब वो ख्वाब खोलती है तो मेरी आँख खुल जाती है...गोदियाल साब
आप सबके प्यार के लिए प्यार...
ओम, देखना चाहता हूँ आपकी कलम, आपकी डायरी...ये जादू इकलौता आपका नहीं हो सकता। न!! कोई तिलिस्म है उस कलम में भी या उन डायरी के पन्नों में भी जो पोस्ट दर पोस्ट हमपर माया करती रहती है इन नज़्मों के जरिये...
कैसे लिखते हो आप सचमुच इतना सारा इतनी जल्दी और इतनी खूबसूरती से कि जलन होने लगे...
इतना वैराग्य !
किसी संत की तरह लिख दिया आपने तो..
ओह, यही है - अतीत की धरोहर.
- विजय
...aur isiliye tum nahi pehhna chahte ho uske churaiye hue sapne !!
taaki wo phir na ro pade !!
..Badi duvidha hai bhai !!
kaise waapis maangoge?
हमें को अब कमबख्त आंसू ही नहीं आते.... लाख टके की बात तो यही है... आप तो फिर भी रो लेते हैं...
sammohit sa kar diya aapne.....
वाह वाह क्या बात है! बहुत सुंदर रचना! तारीफ़ के लिए शब्द कम पर गए!
वाह.. साधुवाद..
om ji,
bahut he acha likha hai...
वाह! और कुछ नहीं सिर्फ़ वाह बार बार वाह!!!
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