आदमी मुस्कुराता है
नही हमेशा,
कभी-कभी हीं सही
पर अभी भी
जारी है आदमी का मुस्कुराना
आदमी हमेशा हँसता-मुस्कुराता रहे
मुस्कुराने के मौके तलाशे और तराशे
ऐसी मेरी चाहत है और प्रार्थना भी
मुझे फक्र है
हर मुस्कुराते हुए आदमी पर
जो इस सनातन दुःख के बीच
मुस्कराहट इन्सर्ट करने की हिम्मत रखता है
मेरी कल्पना में
अक्सर जीवित हो उठता है वो दृश्य
जिसमें छह अरब लोग
एक साथ मुस्कुरा रहे हैं
उस दृश्य में
धरती का आयतन
वर्तमान से कई गुणा ज्यादा है
दरअसल, फूली नही समा रही है पृथ्वी
उस दृश्य में
उस दृश्य में मुस्कुराते हुए
देख रही है वो मुझे
और मैं उसे.
29 comments:
....
आपकी कल्पना सत्य हो जब धरती का हर इन्सान मुस्कुराता हुया मिले बहुत सुन्दर कल्पना है शुभकामनायें
मुझे फक्र है
हर मुस्कुराते हुए आदमी पर
जो इस सनातन दुःख के बीच
मुस्कराहट इन्सर्ट करने की हिम्मत रखता है
Wah! bahut hi touchy lines hain yeh.........
achcha laga.....
गर जिस रोज पृथ्वी फूल गई
तो सबकुछ ही समा जाएगा !!
बहुत ही सुन्दर एवं बेहतरीन शब्द रचना के साथ अनुपम प्रस्तुति ।
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सायद आपको यह प्रोग्राम अच्छा लगे!
अपने देश के लोगों का सपोर्ट करने पर हमारा देश एक दिन सबसे आगे होगा
आपकी कविता में बिम्बों की ताजगी और एक संभव हो सकने वाली फंतासी का उत्साह है.
क्या कहूँ...बस पढता रहूँ ऐसी कवितायेँ.
उस दृश्य में मुस्कुराते हुए
देख रही है वो मुझे
और मैं उसे.
bahut khoob likha hai...
Om ji, Kshama kare aaj kal thoda vyast ho gaya hoon is bajah se aapki kavaita thoda der se padh pata hoon parantu padhata jarur hoon wo isliye ki aap achcha likhate hi nahi hai balki aapki kavita se hamne bhi bahut kuch sikhane ko milata hai kitane sundar shabd aur kitai pyari bhavnayen....bahut badhiya baat rakh jate hai aap....bahut bahut badhayi...
आपकी कलपना सत्य हो जाए..दुआ करता हूं। हो सके तो दो अरब से ज्यादा भारतीय और चीनी ही खुश हो जाएं।
मुझे फक्र है
हर मुस्कुराते हुए आदमी पर
जो इस सनातन दुःख के बीच
मुस्कराहट इन्सर्ट करने की हिम्मत रखता है
wo 'Do patan ke beech main jeevit bachiya na koi' wali baat sehsa hi yaad ho aati hai....
...Kab tak raheigi safed?
....ye Kathit Muskurahat?
मुस्कुराती दुनिया की कल्पनाओं से भरी रचना प्रस्तुत करने का
बहुत आभार ...!!
उस दृश्य में
धरती का आयतन
वर्तमान से कई गुणा ज्यादा है
दरअसल, फूली नही समा रही है पृथ्वी
उस दृश्य में
bahut khoobsurat abhivyakti hai ....shukhad ehsaas...badhai
kash aapka aur sabka ye sapna sach ho jaye.........badhayi
आप एहसासों को सीधे-सीधे छाप देते है ।
बहुत बढिया कहना , बहुत ही कम लगता है !
मुस्कराहट इन्सर्ट करने की हिम्मत
अब फ़िल्मी स्क्रिप्ट लिखने भी लगे क्या ?
मेरी कल्पना में
अक्सर जीवित हो उठता है वो दृश्य
जिसमें छह अरब लोग
एक साथ मुस्कुरा रहे हैं
... यह लगता है किसी सेल फ़ोन के विज्ञापन में ही संभव है!!!
उस दृश्य में मुस्कुराते हुए
देख रही है वो मुझे
और मैं उसे
कंटेंट शानदार और अंत की पंच लाइन बेहद शानदार... यही वो जगह है जहाँ चुप करते हो आप...वरना यह दिल मांगे मोर!!!vv
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो ,
क्या गम है जो छुपा रहे हो
aapki har dhadkan me ek aks hai uska,
jo har nazm ko khaas banata hai
ओम भाई सुन्दर कविता ,आभार आपका
Eeshawar kare, aapkee yah chahat pooree ho...yah kaewal rachna nahee, ek dua-see lagtee hai...!
OM JI .....
BAHOOT HI KHOOBSOORAT KHWAAB DEKHA HAI APNE ... KAASH YE KHWAAB SACH MEIN BADAL JAAYE .... BAS US PAL HUM BHI DEKHENGE AAPKO AUR APKI KALPANA KO .... BAHOOT SUNDAR ABHIVYAKTI HAI ......
मुस्कुराहट इन्सर्ट करना अच्छा लगा। बधाई।
छः अरब लोगो के एक साथ मुस्कराने की कल्पना मोहित कर गयी .......हम भी मुस्करा उठे ......सच में अमूल्य है एक निर्लिप्त अम्लान मुसकान ....!
shukria;
AMEEN!
" इंसर्ट" की जगह "शामिल" किया जा सकता है । जब तक ज़रूरे न हो दूसरी भाषा के शब्द का उपयोग न करें ।
बेहतरीन भावाभिव्यक्ति.... साधुवाद..
wah wah wah.
खुबसुरत रचना.....
आदमी मुस्कुराता है
मुझे लगता है कि यह अन्कंडीशनल मुस्कराहट ही एक मात्र विरासत होती है हमारे बचपन की..और तमाम चीजों के खो जाने के बावजूद.
जो इस सनातन दुःख के बीच
मुस्कराहट इन्सर्ट करने की हिम्मत रखता है
क्या बात है..रोजमर्रा मे इस्तेमाल के विदेशी शब्द जब इस तरीके से कविता मे गूँथे जाते हैं..सो अलग ही अर्थ जानने को मिलते हैं..
और प्रसाद जी की कहानियों की तरह आपकी कविताओं का अन्त भी आप्का सिग्नेचर हो गया है..बोले तो ओम-स्टाइल!! ;-)
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