Friday, October 16, 2009

तुम्हारे लौ भरे हाथ बहुत याद आतें हैं

१)
रात
अमावस की तरफ़ मुंह किए
जा रही थी
और हम खुश थे
कि दिवाली आ रही है !

२)
न तुमने बढ़ाई अपनी लौ
और न मैंने
अपनी बाती

दीया कैसे जलता आख़िर!

३)
बढ़ा दो अपनी लौ
कि पकड़ लूँ उसे मैं अपनी लौ से,

इससे पहले कि फकफका कर
बुझ जाए ये रिश्ता
आओ मिल के फ़िर से मना लें दिवाली !

४)
एक ही लौ होगी हर कहीं
और एक ही ऊर्जा
देख लो चाहे कोई भी दीया हो
या हो कोई भी बाती

५)
तुम्हारे लौ भरे हाथ
बहुत याद आतें हैं
जब भी दिवाली आती है

41 comments:

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

उन यादों को संभाल कर रखें, बहुत कीमती हैं।
दीपपर्व की अशेष शुभकामनाएँ।
-------------------------
पर्यावरण और ब्लॉगिंग को भी सुरक्षित बनाएं।

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया रचनाएं हैं बधाई।
शुभदीपावली।

विनोद कुमार पांडेय said...

प्यार का सुंदर एहसास दीवाली के रंगो के साथ,
खूबसूरत भाव...बढ़िया रचना..बधाई..ओम जी,
और दीवाली की भी हार्दिक शुभकामनाएँ!!

Alpana Verma said...

तुम्हारे लौ भरे हाथ
बहुत याद आतें हैं
जब भी दिवाली आती है
-yah kshanika bahut achchhee lagi.

आप सहित पूरे परिवार को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

Ambarish said...

रात
अमावस की तरफ़ मुंह किए
जा रही थी
और हम खुश थे
कि दिवाली आ रही है !
khush to hona hi chahiye.. amawas ki wo raat jab ham roshni ke liye kisi ke mohtaz nahi hote.. khud ek deeya jalate hain...

न तुमने बढ़ाई अपनी लौ
और न मैंने
अपनी बाती

दीया कैसे जलता आख़िर!
to badhaiye janab... deeye ka jalta rahna bahut jaruri hai...

baaki kshanikayein bhi bahut acchi hain...
aapko deepawali ki dheron shubhkamanayein...

Mishra Pankaj said...

रात
अमावस की तरफ़ मुंह किए
जा रही थी
और हम खुश थे
कि दिवाली आ रही है !

सुन्दर कविता .....
ओम भाई आपको और पुरे परिवार को दीपावली की शुभकामनाये

सागर said...

"बढा लो,...
.....................
.....................
मन लें दिवाली... "

......यही तड़प इधर भी है जानेमन...

स्वप्न मञ्जूषा said...

रात
अमावस की तरफ़ मुंह किए
जा रही थी
और हम खुश थे
कि दिवाली आ रही है !
be-hadd khoobsurat..
shubh deepawali...!!!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

bahut badhiya lagi yeh rachna.......

aapko deepawali ki haardik shubhkaamnayen........

mehek said...

waah bahut sunder,jagmati si rachanaye,deepawali ki badhai.

अजय कुमार said...

sundar rachana aur deepawali ki badhayi

Meenu Khare said...

एक ही लौ होगी हर कहीं
और एक ही ऊर्जा
देख लो चाहे कोई भी दीया हो
या हो कोई भी बाती

दीप पर्व आप की रचनाशीलता को सदा आलोकित करता रहे यही कामना है.

मीनू खरे

seema gupta said...

झिलमिलाते दीपो की आभा से प्रकाशित , ये दीपावली आप सभी के घर में धन धान्य सुख समृद्धि और इश्वर के अनंत आर्शीवाद लेकर आये. इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए.."
regards

दर्पण साह said...

रात
अमावस की तरफ़ मुंह किए
जा रही थी
और हम खुश थे
कि दिवाली आ रही है !

Bada ajeeb sa virodhabaas hai na Oom bhai?
sukh ke bhesh main dhukh aata hai...

...Isliye hi shayad Diwali amavyasya ke din hoti hogi. Kyun?


एक ही लौ होगी हर कहीं
और एक ही ऊर्जा
देख लो चाहे कोई भी दीया हो
या हो कोई भी बाती
'Mera nirakaar ke upar atoot vishwas hai, shayad isliye mujhe ye thodi adhyatmik lagi'
ADWETVAAD !! Shayad.
Sabse behterin...
Baki bhi utkrisht thi !!

सदा said...

रात
अमावस की तरफ़ मुंह किए
जा रही थी
और हम खुश थे
कि दिवाली आ रही है !

बहुत ही सुन्‍दर दिल को छूते शब्‍द, अमावस की रात को दीपक का उजाला देना इसतरह, एक दिये को दूजे दिये से रौशन करना, दीपावली की शुभकामनाओं के साथ सदा ।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

इससे पहले कि फकफका कर
बुझ जाए ये रिश्ता
आओ मिल के फ़िर से मना लें दिवाली !
bahut badhiya aapko divali ki shubhkamnayen

डिम्पल मल्होत्रा said...

koee mere baare me kab socta hoga,
main in andhero me bujh gya to kya hoga.

ek diya

निर्मला कपिला said...

तुम्हारे लौ भरे हाथ
बहुत याद आतें हैं
जब भी दिवाली आती है
आपकी यादों का संदूक भी बहुत बडा है हर बार एक नयी अभिव्यक्ति उसमे से निकल आती है बहुत सुन्दर है प्रस्तुति । दीपावली की आपको व परिवार को शुभकामनायें

सागर said...

आपकी कविता की कुछ लाइन मैंने अपने ऑरकुट अकाउंट पर लगाया है, बिना अनुमति... माफ़ करेंगे... मकसद सन्देश देना है...

साभार...


http://www.orkut.co.in/Main#Profile?rl=ls&uid=892887900031987200

M VERMA said...

रात
अमावस की तरफ़ मुंह किए
जा रही थी
और हम खुश थे
कि दिवाली आ रही है !
बहुत गहरे तक कुरेद दिया. नए अन्दाज मे कहने की अदा आपकी ----- सभी बहुत शानदार

संजय भास्‍कर said...

दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ...जो भी हो जैसी भी हो आपकी रचना अच्छी लगती है..बधाई!!!
दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ...जो भी हो जैसी भी हो आपकी रचना अच्छी लगती है..बधाई!!!
FROM :-
SANJAY KUMAR
HARYANA
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

kshama said...

Ateev sundar rachnayen ! "Bichhad ke apnee batee se diya,ro ro diya"!

अमिताभ श्रीवास्तव said...

DEEP PARVA KI SHUBHKAMANAYE AAPKO/
kyaa baat he bahut badhhiya-
रात
अमावस की तरफ़ मुंह किए
जा रही थी
और हम खुश थे
कि दिवाली आ रही है ! deevali par kuchh nay andaaz me likhi gai kuchh rachnaao ne mujhe hatprabh kiya/ sach to yah he ki saahitya ki poojaa..apane poore shudhdh man se ho rahi he/badhaai aapko/ bahut behtreen likha he/

Unknown said...

अत्यन्त उत्तम !

आपको और आपके परिवारजन को
दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयां
एवं मंगल कामनायें.......

Yogesh Verma Swapn said...

bahut khoob. umda. badhaai.

Udan Tashtari said...

बेहतरीन रचना!! वाह!


सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

-समीर लाल ’समीर’

वन्दना अवस्थी दुबे said...

एक ही लौ होगी हर कहीं
और एक ही ऊर्जा
देख लो चाहे कोई भी दीया हो
या हो कोई भी बाती
बहुत अच्छी सौगात दी आपने. दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनायें.

आनन्द वर्धन ओझा said...

ओम भाई,
उजास के पर्व दीपावली पर आपकी पांच कणिकाएं भावों की अनोखी व्याख्या है. विश्वास करें, लौ इतनी बढाऊंगा कि आप उसे पकड़ सकें और दोनों मिलकर, बढ़कर एक हो, प्रकाशमान कर दे दिग-दिगंत ! रिश्ते बुझने न देंगे हम--याकीन है मुझे !! लौ भरे हाथ की यादें बेशकीमती हैं बन्धु !! --आ.

रश्मि प्रभा... said...

in yaadon kee raushni bani rahe

Yogesh Verma Swapn said...

आपको और आपके परिवार को दीपावली की मंगल कामनाएं.

Dr. Amarjeet Kaunke said...

majhe bhi un haathon ki lo yaad aane lagi apki kavita pad kar....

राजकुमार ग्वालानी said...

इस दीपावली में प्यार के ऐसे दीए जलाए

जिसमें सारे बैर-पूर्वाग्रह मिट जाए

हिन्दी ब्लाग जगत इतना ऊपर जाए

सारी दुनिया उसके लिए छोटी पड़ जाए

चलो आज प्यार से जीने की कसम खाए

और सारे गिले-शिकवे भूल जाए

सभी को दीप पर्व की मीठी-मीठी बधाई

डिम्पल मल्होत्रा said...

स्वर्ग न सही धरा को धरा तो बनाये..
दीप इतने जलाएं की अँधेरा कही न टिक पाए..
इस दिवाली इन परिन्दों के लिए पटाके न चलायें....

दिगम्बर नासवा said...

तुम्हारे लौ भरे हाथ
बहुत याद आतें हैं
जब भी दिवाली आती है......

ओम जी .... दिवाली पर एक से badh कर एक chanikaaon के tohfe .......... bahoot कमाल लगे ....... दिल में utar गयी seedhe से .......... आपको और आपके परिवार में सभी को दीपावली की शुभकामनाएं ...............

Chandan Kumar Jha said...

दीपावली का सुन्दर प्रसाद है आपकी ये रचनायें । दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें ।

vandana gupta said...

BAHUT HI GAHAN BHAVO SE SAJI RACHNA

DIPAWALI KI HARDIK SHUBHKAMNAYEIN

Vipin Behari Goyal said...

आओ मिल के फ़िर से मना लें दिवाली !
deewali ki shubkamnaye

वाणी गीत said...

अमावास की ओर जाती रात पूर्णिमा के आने की आस भी तो जगती है ...
शुभ दीपावली ...!!

अनूप शुक्ल said...

बेहतरीन रचना। रोशनी भरे हाथ वाली के तो क्या कहने।

डॉ .अनुराग said...

तुम्हारे लौ भरे हाथ बहुत याद आते है........
ये वाली पसंद आयी..

Anonymous said...
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