Tuesday, October 6, 2009

यादें

कई यादें हैं
एक से लगती हुई एक
पीछे, बहुत दूर तक फैली हुई
जहाँ तक नजर जाती है.
जैसे पहाड़ियाँ होती हैं
एक से एक लगी हुई, फैली दूर तक
जहाँ पनाह पाता है सूरज शाम को

कुछ यादें,
जो बसी हैं
बिल्कुल तराई में
कभी जब हो जाती है मूसलाधार बारिश,
तो उनका बहाव
बदन के कगारों को तोड़ते हुए
पहुँच जाता है पलकों तक
और बहने लगता है धार धार


बहुत बार डाली है मिट्टी
बहुत बार ढँक दिया है
मोटी परतों से,
याद के
उन गहरे निशानों को
पर कोई भी,
किसी संगीत का टुकड़ा, कविता की कोई पंक्ति,
या ऐसे ही
बाजार में टहलता हुआ कोई लम्हा,
तोड़ कर
चला जाता है
उन बांधों को
और पानी, फिर बाहर आने लगता है

मैं कहाँ से लाऊँ
अब इतनी मिट्टी
जो रोक सके उन यादों का बहाव
जो बहा ले जाती है
बार- बार मुझे.

33 comments:

seema gupta said...

तो उनका बहाव
बदन के कगारों को तोड़ते हुए
पहुँच जाता है पलकों तक
और बहने लगता है धार धार
सुन्दर और कोमल यादे , बेहद खुबसूरत पंक्तियाँ....
regards

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत बार डाली है मिट्टी
बहुत बार ढँक दिया है
मोटी परतों से,
याद के
उन गहरे निशानों को
पर कोई भी,
किसी संगीत का टुकड़ा, कविता की कोई पंक्ति,
या ऐसे ही
बाजार में टहलता हुआ कोई लम्हा,
तोड़ कर
चला जाता है
उन बांधों को
और पानी, फिर बाहर आने लगता है.......

haan! yeh to sahi hai ki ki yaadon ka baandh toot hi jata hai.....

bahut hi behtareen........

Mithilesh dubey said...

बहुत ही उम्दा रचना। दिल से लिखी पड़ रही है। लाजवाब

वाणी गीत said...

यादों का बहाव ...जब बहने पर आता है तो किसी के रोके नहीं रुकता ...
सुन्दर भावपूर्ण रचना ..!!

kshama said...

In yaadon ke safar me aapke saath hain...!

सदा said...

याद के
उन गहरे निशानों को
पर कोई भी,
किसी संगीत का टुकड़ा, कविता की कोई पंक्ति,
या ऐसे ही
बाजार में टहलता हुआ कोई लम्हा,
तोड़ कर
चला जाता है

बहुत ही भावपूर्ण शब्‍दों से सजी यह रचना लाजवाब प्रस्‍तुति आभार

समयचक्र said...

मैं कहाँ से लाऊँ
अब इतनी मिट्टी
जो रोक सके उन यादों का बहाव
जो बहा ले जाती है
बार- बार मुझे.

ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति .भावपूर्ण रचना

Anonymous said...

वाकई में यादें तो बस यादें होती है......ओम जी आपकी ये रचना हमेंशा की तरह दिल को छुने वाली है। ऎसा ही कुछ पढिये, के बस एक ख्याल हूं मै....बेझिझक सी तरन्नुम में....
http://swastikachunmun.blogspot.com

विनोद कुमार पांडेय said...

Yaden cheez hi aisi hai jisaka aastitv kabhi khatam nahi hota hai kabhi bhi kisi time kisi rup me aakar dilon dimag par chha jati hai..

behtareen abhivyakti..kavita bahut achchi lagi..badhayi om ji..

डिम्पल मल्होत्रा said...

bhoolna main bhi nahi chahta shayd tumhe or koee kambakhat fir se yaad dila jata hai....wo bhi kisi dard ko bhulane ki koshish me hans raha hoga..jis kambakhat ne naam uska liya hoga...

रश्मि प्रभा... said...

kai rachnaaon ko padhkar yun lagta hai jaise main nadi ke kinare hun aur har tarangen kuch kah rahi hain.......aisa hi laga in yaadon ke madhya

वन्दना अवस्थी दुबे said...

हां यादें होती ही ऐसी हैं....कभी तोडती कभी जोडती....कभी रुलाती और कभी हंसाती..

Meenu Khare said...

"या ऐसे ही
बाजार में टहलता हुआ कोई लम्हा,"

आप की अद्वितीय अभिव्यक्ति क्षमता को एक बार फिर सलाम.

Mishra Pankaj said...

sundar kavitaa
aabhaar aapkaa

Ambarish said...

तोड़ कर
चला जाता है
उन बांधों को
और पानी, फिर बाहर आने लगता है.......

और उस पानी मैं कुछ ऐसे डूब जाते हैं हम कि निकलने को जी करता ही नहीं..
बहुत खूब लिखा है आपने..

सागर said...

एक वस्तुनिष्ठ और सर्वनिष्ठ घटना को अच्छे शब्द देकर सामूहिक रूप से अभिव्यक्त कर दिया आपने...

Rachna Singh said...

all your poems touch in deep way

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत बार डाली है मिट्टी
बहुत बार ढँक दिया है
मोटी परतों से,
याद के
उन गहरे निशानों को
पर कोई भी,
किसी संगीत का टुकड़ा, कविता की कोई पंक्ति,

bahut sundar abhivyakti.....yaden sach men hi peechha nahi chhodatin hain....badhai

रंजू भाटिया said...

बहुत बार डाली है मिट्टी
बहुत बार ढँक दिया है
मोटी परतों से,
याद के
उन गहरे निशानों को
पर कोई भी,
किसी संगीत का टुकड़ा, कविता की कोई पंक्ति,

बहुत खूब सुन्दर रचना

Apanatva said...

ye to ek aisa khazana hai jo har roz badata hee jata hai aur ant tak saath deta hai .Bahut hee sunder rachana .

Yogesh Verma Swapn said...

bahut khoob om ji, bahut umda abhivyakti.

M VERMA said...

मैं कहाँ से लाऊँ
अब इतनी मिट्टी
बहुत नम है ये भाव. बहुत खूबसूरत है ये एहसास.
बहने दो इन एहसासी नीर को
शायद ये समुन्दर का हिस्सा बनना चाहते है.

mehek said...

behad khubsurat yaadon ke bhahav mein baha le gayi kavita.

अपूर्व said...

बहुत खूबसूरत बारिश की हवा से पुरनम कविता..जैसे मेरे अपने दिल के मौन को शब्दों की की पनाह दी हो आपने..
..सच ही कहा है.यादें दश्त की तरह होती है..जिसमे खो जाना बहुत कुछ पा लेने जैसा लगता है..जिनसे वापस आने का कोई सीधा रास्ता नही होता..मगर ग्लोबलाइजेशन के इस जमाने मे कब तक वजूद बनाये रख पायेंगे यह दश्त..झूठे ख्वाबो का ई एम आई भरते इस मन को कितनी फ़ुरसत मिलेगी खो जाने की..देखना है.

Vipin Behari Goyal said...

कुछ यादें,
जो बसी हैं
बिल्कुल तराई में....

क्या खूब कहा आपने दिल को छू लेने वाली कविता

Alpana Verma said...

मैं कहाँ से लाऊँ
अब इतनी मिट्टी
जो रोक सके उन यादों का बहाव
जो बहा ले जाती है
बार- बार मुझे.
-bahut khuub!

-bhaav-abhivyakti sundar hai.

Prem said...

बहुत सुंदर भावः बहुत सुंदर रचना

vijay kumar sappatti said...

OM ji
namaskar

kya kahun , aapki kavita padhkar nishabd hoon .. dil ko chooti hui rachna hai ..

बहुत बार डाली है मिट्टी
बहुत बार ढँक दिया है
मोटी परतों से,
याद के
उन गहरे निशानों को
पर कोई भी,
किसी संगीत का टुकड़ा, कविता की कोई पंक्ति,
या ऐसे ही
बाजार में टहलता हुआ कोई लम्हा,
तोड़ कर
चला जाता है
उन बांधों को
और पानी, फिर बाहर आने लगता है

om ji ; sach ye yaade to hai , jinhone jeena mushkil bhi kiya hua hai aur aasaan bhi .. meri badhi sweekar kare ...

Regards

Vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com

sandhyagupta said...

कुछ यादें,
जो बसी हैं
बिल्कुल तराई में
कभी जब हो जाती है मूसलाधार बारिश,
तो उनका बहाव
बदन के कगारों को तोड़ते हुए
पहुँच जाता है पलकों तक
और बहने लगता है धार धार


Bahvpurn aur sundar abhivyakti.Yun hi likhte rahiye.

दिगम्बर नासवा said...

यादों का सैलाब सच में रुकता नहीं है ......... जब आता है तो सब कुछ बहा ले जाता है ......... अपना सब कुछ लूट कर ले जाता है ...... बहुत ही लाजवाब है ओम जी ......... कमाल का

vandana gupta said...

yadon ka sailaab kaise roka ja sakta hai.........kahin na kahin se to baandh toot hi jata hai phir chahe kitni hi mitti dalo........yadon ke jharokhe bahut hi jheene hote hain.

Unknown said...

वाह आर्य जी आपने यादों को शब्‍दों और उसके लय में जो पिरोया है वह वाकई अत्‍यंत सुखदाई है। शुभकामनाओं सहित

Anonymous said...
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