कुछ ग़ज़लें, कुछ नज़्में
जो उलझ जाती है मकड़जाल में
कुछ बातें, जिन्हे लम्हों की तनी रस्सियों पर चलना होता है
कुछ एहसास और खयाल
जो पिघल कर उतरते नहीं कागज़ पर
जो उलझ जाती है मकड़जाल में
कुछ बातें, जिन्हे लम्हों की तनी रस्सियों पर चलना होता है
कुछ एहसास और खयाल
जो पिघल कर उतरते नहीं कागज़ पर
किसी भी मौसम में
कुछ चित्र और रंग जिनको आँख में आने की वजह नही मिलती
-----
कुछ चित्र और रंग जिनको आँख में आने की वजह नही मिलती
-----
और इस तरह की कुछ और भी चीजें
जो अधूरी रह जाती हैं
छोटी-छोटी वाहियात वजहों के चलते
हैं मेरे पास बड़ी तादाद में
हालांकि अपने अधूरेपन में पूरी तरह
जिंदा रहना आता है उन्हें
और वे सालों साल से सांस ले रही है मेरे साथ
और धीरे धीरे तो वे पूरी भी लगने लगीं हैं
क्योंकि असलियत में
हम भूल गये हैं उनके अधूरेपन को
और साथ ही साथ
उन्हें पूरा करने की अपनी जबाबदेही को
पर उन्हें भूल जाना
उन चीज़ो को, जो छोटी-छोटी वाहियात वजहों के चलते
अधूरे रह जाते हैं,
उन्हें क्या हमेशा के लिए अधूरा नही छोड़ देता?
जो अधूरी रह जाती हैं
छोटी-छोटी वाहियात वजहों के चलते
हैं मेरे पास बड़ी तादाद में
हालांकि अपने अधूरेपन में पूरी तरह
जिंदा रहना आता है उन्हें
और वे सालों साल से सांस ले रही है मेरे साथ
और धीरे धीरे तो वे पूरी भी लगने लगीं हैं
क्योंकि असलियत में
हम भूल गये हैं उनके अधूरेपन को
और साथ ही साथ
उन्हें पूरा करने की अपनी जबाबदेही को
पर उन्हें भूल जाना
उन चीज़ो को, जो छोटी-छोटी वाहियात वजहों के चलते
अधूरे रह जाते हैं,
उन्हें क्या हमेशा के लिए अधूरा नही छोड़ देता?