उठो,
देखो खिड़की खोल कर,
बालकनी से झाँक कर
सूरज, लाया है आज
कुछ ख़ास कशीदे बुनकर किरणों की
कई साल पहले
आसमान के तारों पे अपने नन्हे पाँव रखते
उतर आई थी एक एंजेल
जमीन पे
शक्ल उसकी ओस के बूँद सी थी
और खिलखिलाई थी वो
जिंगल बेल की आवाज में
सुनकर,
सूरज नाचा था तब भी
नाचता है आज के दिन हमेशा
और बुनकर लाता है कशीदे
देखो खिड़की खोल कर,
बालकनी से झाँक कर
सूरज, लाया है आज
कुछ ख़ास कशीदे बुनकर किरणों की
कई साल पहले
आसमान के तारों पे अपने नन्हे पाँव रखते
उतर आई थी एक एंजेल
जमीन पे
शक्ल उसकी ओस के बूँद सी थी
और खिलखिलाई थी वो
जिंगल बेल की आवाज में
सुनकर,
सूरज नाचा था तब भी
नाचता है आज के दिन हमेशा
और बुनकर लाता है कशीदे
आज भी वही दिन है
आज भी सूरज लाया है
किरणों के वही कशीदे
और नाच रहा है
बिना रुके
आज भी वही दिन है
तुम्हारा जन्म दिन!
है ना !!
बिना रुके
आज भी वही दिन है
तुम्हारा जन्म दिन!
है ना !!