कविता...तेरे शहर में फिर आसरा ढूंढने निकला हूँ!
अध्यात्म से जन्मी रचना
आजकल दोनों आँखों के बीच वाली जगह पेचेतनादुःख से बीन्धी हुई रहती हैऔर मैं ध्यान में .जब दर्द का कोहरा बहुत धन्ना हो जाये तो ऐसी रचना का जन्म होता है शायद......तभी गहरा ध्यान का जन्म होता है.....संजिदा भावाभिव्यक्ति...
moti raste par nahin beche jate omjiraaz-e-khudi yon khole nahin jate omji ___________________avmoolyan hota hai______
दुःख से बीन्धी हुई रहती हैऔर मैं ध्यान में अच्छा कहा आपने ..
ध्यान और चेतना और बढ़िया कम शब्दों में अच्छे भाव पूर्ण रचना . बधाई अच्छा प्रयास है
बहुत खूब .
ध्यान और दुःख की बीच गहरा सम्बन्ध बनाती हुयी कविता............. सचमुच दर्द गहरा हो जाए तो इंसान ध्यान की अवस्था में आ जाता है
bahut hi gehra aur bhav purn likha hai aapne........accha laga aapke blog par aakar dhanyawaad..........
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8 comments:
अध्यात्म से जन्मी रचना
आजकल दोनों आँखों के बीच वाली जगह पे
चेतना
दुःख से बीन्धी हुई रहती है
और मैं ध्यान में .
जब दर्द का कोहरा बहुत धन्ना हो जाये तो ऐसी रचना का जन्म होता है शायद......तभी गहरा ध्यान का जन्म होता है.....संजिदा भावाभिव्यक्ति...
moti raste par nahin beche jate omji
raaz-e-khudi yon khole nahin jate omji
___________________avmoolyan hota hai______
दुःख से बीन्धी हुई रहती है
और मैं ध्यान में
अच्छा कहा आपने ..
ध्यान और चेतना और बढ़िया कम शब्दों में अच्छे भाव पूर्ण रचना . बधाई अच्छा प्रयास है
बहुत खूब .
ध्यान और दुःख की बीच गहरा सम्बन्ध बनाती हुयी कविता............. सचमुच दर्द गहरा हो जाए तो इंसान ध्यान की अवस्था में आ जाता है
bahut hi gehra aur bhav purn likha hai aapne........
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