Friday, June 19, 2009

वे गुलमुहर के पेड़ वहां पहले नही थे

मेरी बांहों पे
अपना सर टिका कर
तुमने जो तय कर दिए थे
मेरी जिंदगी के रास्ते

उन रास्तों से
तुम भी कभी फ़िर गुजरो
तो देखना
उनके दोनों तरफ
गुलमुहर के पेड़ खड़े मिलेंगे
हमेशा अपने लाल फूलों के साथ

वे गुलमुहर के पेड़ वहां पहले नही थे

24 comments:

रंजन said...

बहुत नाजुक... बहुत अच्छी.

Anonymous said...

एक बहुत ही खुबसूरत अहसास ...
दिल को छू गयी.

शहिद "अजनबी"

नई कलम - उभरते हस्ताक्षर said...

एक बहुत ही खुबसूरत अहसास ...
दिल को छू गयी.

शहिद "अजनबी"

अविनाश वाचस्पति said...

अहसास में ऑक्‍सीजन
इसे ही तो कहते हैं

'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा :: said...

बहुत खूब ,सीमित शब्द , गहरे भावार्थ |बधाई और शुभकामनाएं ,हार्दिक धन्यवाद के साथ |
साथ गर्दिश-ए-वक्त ,
तुमने भी बदल दिए रास्ते,
इसी लिए जिन राहों के गिर्द ,
खिलने थे बासंती अमलतास ,
गुलमोहर के फूल अब वहाँ,
खिलते हैं लहू के रंग के साथ ||

संध्या आर्य said...

गुलमोहर के सुर्ख रंग से भारी आपकी भावनाये इतने कोमल है कि कमल को भी रस्क हो जाये .............

गुस्ताखी माफ.........आप अपनी कोमल को बोलो कि आपकी कविताये पढे..
...............
ताकि आपके कोमल भाव उसे समझ मे आये..........

Vinay said...

वाह साहब बहुत बढ़िया कविता लिखी है


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चर्चा । Discuss INDIA

डिम्पल मल्होत्रा said...

गुलमुहर के पेड़ वहां पहले नही थे
hmm..pyar ke phool khile gulmohar ke roop me...

vandana gupta said...

bahut hi khoobsoorat bhav hai bilkul gulmohar ki tarah.

दिगम्बर नासवा said...

उन रास्तों से
तुम भी कभी फ़िर गुजरो
तो देखना
उनके दोनों तरफ
गुलमुहर के पेड़ खड़े मिलेंगे

दस्ते नाज़ुकी से लिखी,........... महीन रिश्तों में ढली ............. लाजवाब रचना

ओम आर्य said...

Ji.. Raj Vir ji, ya shaayad yun kahen ki pyar ke ped uge chhyaadar,khubsurat, unche, ghane gulmuhar ke roop men.

Science Bloggers Association said...

बहुत खूबसूरत ख्यालात हैं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

IMAGE PHOTOGRAPHY said...

गुल्मोहर और प्यार का रिश्ता बहुत ही पुराना है

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर एह्सास।बढिया रचना है।बधाई।

सदा said...

दिल को छूते शब्‍द, बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिये आपको बधाई ।

M VERMA said...

bahut hi komal see nazuk see ehsaas kee kavita. chhoo gayee man ko.

gazalkbahane said...

आप्के शब्द दिल के निर्झर से झरते हैं इसीलिये पढ़ने वाले के दिल छू लेते हैं
इस रचना की कमनीयता वस्तुत हृद्‌य स्पर्श करती है
श्याम सखा श्याम’

नवनीत नीरव said...

खूबसूरत पन्तियाँ हैं कोमल भाव लिए .
नवनीत नीरव

रंजू भाटिया said...

बहुत सुन्दर भावपूर्ण कविता

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) said...

बहुत बढ़िया बहुत ही खुबसूरत अहसास

Manish Kumar said...

shayad prem ki laali gulmohar ke phoolon ki rangat mein ghul gayi !

निर्मला कपिला said...

ओमजी कुछ व्यस्त रही देर से देखी है कविता वैसे मुझे मौन के घर मे आ कर बहुत अच्छा लगता है हर बार एक नई और खूब्सूरत रचना देखने को मिलती है कम शब्दों मे कविता के पूरे भाव को बाँधना कमाल है आभार और बधाई

डॉ .अनुराग said...

दिलचस्प .अनोखी...ओर आपके अंदाज में ....

Urmi said...

बहुत ही सुंदर भाव के साथ प्यारी कविता लिखा है आपने! मुझे बेहद पसंद आया!