कविता...तेरे शहर में फिर आसरा ढूंढने निकला हूँ!
waah, om jido line me kitana bada bhav racha aapnebahut sundardono ke alag alag majboori ki dastan badhiya samjhaya aapnedhanywaad
इस मजबूरी पर कौन निसार न हो जाए।-Zakir Ali ‘Rajnish’ { Secretary-TSALIIM & SBAI }
दिल को छूते शब्दों में व्यक्त मजबूरी.......बहुत सहजता से व्यक्त की गई .........बधाई ।
bahut khoob, om ji........main mazboor tha.....bahut hi sunder rachna ki hai aapne ....aapne jo mera hosla badaya....uske liye dil se aabhar...asha karta hun aap aage bhi isi tarah meri hoslaafzai aour margdarshan karte rahenge.....
वाह...
मैं मजबूर थाप्यार हो गया था मुझे bahut sundar
lajawaab...waahh
दिल की मजबूरी साफ झलकती है।बहुत सुन्दर!!
यह मजबूरी क्यों है?
आपकी इस कविता को पढ्कर प्यार के जिस सौन्दर्य का एहसास होता है वह इस कविता से पुर्णत: व्यक्त हो जाता है ..................................................कमजोरियाँ तुम्हारीकोई नही थीमेरी थी एक प्यार करता था तुम्हे--(रचनाकार----बेर्टोल्ट ब्रेख्त)..................................
बहुत बढ़िया, सुन्दर भाव.
bahoot ही khoob ............आपकी 2 laaine कितना कुछ कह गयी .............. vaise to pyaar mein sab majboor hi hote hain
बहुत सुन्दर---विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
कम शब्दों में गहरी बात....लगता है, कहीं गहरी चोट भी खाई है. वरना इतनी शिद्दत के साथ कसक दिखाई न देती....
इस मज़बूरी के एक छोर पर तो हम भी रह चुके हैं ! बड़ी कमों मज़बूरी है :)
*कमों = कॉमन
क्या अंदाज़ है आपका...वाह...नीरज
सच ही कहा है कविता शब्दो से नही बनती कविता तो शब्दो से परे है. इतनी खूबसूरत कविता इतने कम शब्दो मे.वाह
वाह गागर मे सागर बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है शुभकामनायें
waah mazbuurii waah
khoobsurat....wah !
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22 comments:
waah, om ji
do line me kitana bada bhav racha aapne
bahut sundar
dono ke alag alag majboori ki dastan badhiya samjhaya aapne
dhanywaad
इस मजबूरी पर कौन निसार न हो जाए।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
दिल को छूते शब्दों में व्यक्त मजबूरी.......
बहुत सहजता से व्यक्त की गई .........बधाई ।
bahut khoob, om ji........
main mazboor tha.....
bahut hi sunder rachna ki hai aapne ....
aapne jo mera hosla badaya....uske liye dil se aabhar...
asha karta hun aap aage bhi isi tarah meri hoslaafzai aour margdarshan karte rahenge.....
वाह...
मैं मजबूर था
प्यार हो गया था मुझे
bahut sundar
lajawaab...waahh
दिल की मजबूरी साफ झलकती है।बहुत सुन्दर!!
यह मजबूरी क्यों है?
आपकी इस कविता को पढ्कर प्यार के जिस सौन्दर्य का एहसास होता है वह इस कविता से पुर्णत: व्यक्त हो जाता है .............
.....................................
कमजोरियाँ तुम्हारी
कोई नही थी
मेरी थी एक
प्यार करता था तुम्हे--(रचनाकार----बेर्टोल्ट ब्रेख्त)
..................................
बहुत बढ़िया, सुन्दर भाव.
bahoot ही khoob ............
आपकी 2 laaine कितना कुछ कह गयी .............. vaise to pyaar mein sab majboor hi hote hain
बहुत सुन्दर
---
विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
कम शब्दों में गहरी बात....लगता है, कहीं गहरी चोट भी खाई है. वरना इतनी शिद्दत के साथ कसक दिखाई न देती....
इस मज़बूरी के एक छोर पर तो हम भी रह चुके हैं ! बड़ी कमों मज़बूरी है :)
*कमों = कॉमन
क्या अंदाज़ है आपका...वाह...
नीरज
सच ही कहा है कविता शब्दो से नही बनती कविता तो शब्दो से परे है.
इतनी खूबसूरत कविता इतने कम शब्दो मे.
वाह
वाह गागर मे सागर बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है शुभकामनायें
वाह गागर मे सागर बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है शुभकामनायें
waah mazbuurii waah
khoobsurat....wah !
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