कविता...तेरे शहर में फिर आसरा ढूंढने निकला हूँ!
पतझड मे टुटे शाख के पत्ते बिखर कर मानो मौसमो को बेरंग कर गये हो,आपकी कविता यही भाव प्रस्तुत कर रही है.......अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति
जबकिअभी-अभी तुमनेबुहार करएक जगह इकठ्ठा किये गएसारे पतझड़ कोवाह...वाह......!!लाजवाब....!!
anupam!
lajawaab
sunder rachna.
लाजवाब....!!
बहुत उम्दा!
आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!बहुत ही उम्दा रचना लिखा है आपने!
जबकिअभी-अभी तुमनेबुहार करएक जगह इकठ्ठा किये गएसारे पतझड़ कोपैर मार करसभी मौसमों पे छीतेर दिया हैवाह.......लाजवाब सोच है............. अनोखे भावों को संजोया है इस रचना में ओम जी ................ बस शब्द नहीं मिल रहे कुछ कहने को
आप सबका शुक्रगुजार हूँ तहेदिल से, मेरे ब्लॉग पे आने, कमेन्ट करने और हौसलाफजाई के लिए. बहुत-बहुत धन्यवाद.
Waah !! waah !! waah !! Superb !!Lajawaab bimb prayog...
kam shabdon me sashkt abhivyakti badhai
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12 comments:
पतझड मे टुटे शाख के पत्ते बिखर कर मानो मौसमो को बेरंग कर गये हो,आपकी कविता यही
भाव प्रस्तुत कर रही है.......अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति
जबकि
अभी-अभी तुमने
बुहार कर
एक जगह इकठ्ठा किये गए
सारे पतझड़ को
वाह...वाह......!!
लाजवाब....!!
anupam!
lajawaab
sunder rachna.
लाजवाब....!!
बहुत उम्दा!
आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
बहुत ही उम्दा रचना लिखा है आपने!
जबकि
अभी-अभी तुमने
बुहार कर
एक जगह इकठ्ठा किये गए
सारे पतझड़ को
पैर मार कर
सभी मौसमों पे छीतेर दिया है
वाह.......लाजवाब सोच है............. अनोखे भावों को संजोया है इस रचना में ओम जी ................ बस शब्द नहीं मिल रहे कुछ कहने को
आप सबका शुक्रगुजार हूँ तहेदिल से, मेरे ब्लॉग पे आने, कमेन्ट करने और हौसलाफजाई के लिए. बहुत-बहुत धन्यवाद.
Waah !! waah !! waah !! Superb !!
Lajawaab bimb prayog...
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