शरीर में टिके रहने की वजह
देती है साथ कोई तमन्ना
एक ख्वाहिश है जो
नही जाती छोड़कर कभी
कोई ख्वाब है जो
कभी रूठता नही
टूटता नही है एक
नशा है जो उम्मीद का
मन के आले में अरमानो का एक दीया है
जो अपनी लौ नही समेटता
एक जिंदगी है जो
कभी मरती नही
और कितनी चाहिये वजहें
इस शरीर में टिके रहने के लिये.
8 comments:
बहुत खूबसूरत बात कह दी है आपने। बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
waah..........bahut khoob likha.bahut si vajahien bata di aapne to jabki tike rahne ko to ek bhi vajah kafi hoti hai.
mere blog par bhi aaiyega.
a positive attitude abt life....or kya chihye jeene ke liye...
एक जिंदगी है जो
कभी मरती नही
कैसे जीवन नही मरती?
वैसे कविता जिवन के सकारात्मक पक्छ को दिखती हुई है.....खुबसूरत प्रस्तुति
सामने है जो उसको खुदा कहते है .....वाली जगजीत की गज़ल याद आ गयी ओम जी .....उसकी एक लाइन खास तौर से ...
कुछ ओर साल उम्र के बढा देती है.....कहने वाले उसको दवा कहते है .
Wah.....अच्छी कविता के लिये बधाई और हां एक बात बताएं कि अापके साइडबार में लगे बसंत आर्य आजकल क्या कर रहे हैं.... उनका नया संपर्क...?
ultimate.....!!!
simply marvellous....!!!
पहले तो मैं तहे दिल से आपका शुक्रियादा करना चाहती हूँ कि आपको मेरी शायरी पसंद आई!
बहुत ख़ूबसूरत कविता लिखा है आपने!
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