Tuesday, June 2, 2009

शरीर में टिके रहने की वजह

शरीर में टिके रहने की वजह
देती है साथ कोई तमन्ना


एक ख्वाहिश है जो
नही जाती छोड़कर कभी


कोई ख्वाब है जो
कभी रूठता नही


टूटता नही है एक
नशा है जो उम्मीद का


मन के आले में अरमानो का एक दीया है
जो अपनी लौ नही समेटता


एक जिंदगी है जो
कभी मरती नही


और कितनी चाहिये वजहें
इस
शरीर में टिके रहने के लिये.

8 comments:

Science Bloggers Association said...

बहुत खूबसूरत बात कह दी है आपने। बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

vandana gupta said...

waah..........bahut khoob likha.bahut si vajahien bata di aapne to jabki tike rahne ko to ek bhi vajah kafi hoti hai.

mere blog par bhi aaiyega.

डिम्पल मल्होत्रा said...

a positive attitude abt life....or kya chihye jeene ke liye...

संध्या आर्य said...

एक जिंदगी है जो
कभी मरती नही

कैसे जीवन नही मरती?

वैसे कविता जिवन के सकारात्मक पक्छ को दिखती हुई है.....खुबसूरत प्रस्तुति

डॉ .अनुराग said...

सामने है जो उसको खुदा कहते है .....वाली जगजीत की गज़ल याद आ गयी ओम जी .....उसकी एक लाइन खास तौर से ...
कुछ ओर साल उम्र के बढा देती है.....कहने वाले उसको दवा कहते है .

योगेन्द्र मौदगिल said...

Wah.....अच्छी कविता के लिये बधाई और हां एक बात बताएं कि अापके साइडबार में लगे बसंत आर्य आजकल क्या कर रहे हैं.... उनका नया संपर्क...?

महुवा said...

ultimate.....!!!
simply marvellous....!!!

Urmi said...

पहले तो मैं तहे दिल से आपका शुक्रियादा करना चाहती हूँ कि आपको मेरी शायरी पसंद आई!
बहुत ख़ूबसूरत कविता लिखा है आपने!