वाह........... क्या अनूठे अंदाज में प्रसन्न किया है उनको.......... निराला अंदाज है..... लाजवाब लिखा..... ठंडा सूरज उगाना है......नमन आपके सोच की उडान को
एक थोड़ा ठंढा सूरज उगाना है ..........आपकी यह रचना ने चाँद सी शीतलता बिखेर दी हो मानो पूरे कायनात पे ............इस रचना मे गहरी प्रकृति से लगाव भी दिखती है..........आमीन
aap sab ka aashirvaad isi tarah bana raha to, maun ke khali ghar men aur bhi shabd aate rahenge aur main unhe aawaaj ki panah men lata rahunga. aap sab ka bahut bahut dhanyavaad.
24 comments:
Nice... bahut sundar.
~Jayant Chaudhary
jayantchaudhary.blogspot.com
प्रकृति के न जाने कितने भाव-व्यापार मानवीय़ होकर प्रकट हो जाते हैं आपकी कविताओं में । आभार इस कविता के लिये ।
lagta hai aap bahut prakriti premi hai....aapke kavita se jhalakta hai
बहुत सुन्दर...
आमीन!!!
थोडा पानी उसमें मेरी तरफ से भी देना भाई.... वाह भाई वाह वाह!!!
सख्त ज़रुरत है. सुंदर ओमजी .
वाह........... क्या अनूठे अंदाज में प्रसन्न किया है उनको.......... निराला अंदाज है..... लाजवाब लिखा..... ठंडा सूरज उगाना है......नमन आपके सोच की उडान को
प्रकृति की निकटता आप से है तो गर्मी मे भी कलमी नही झुलसेगी....
बहुत सुंदर विचार हैं। बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति, आभार
एक थोड़ा ठंढा सूरज उगाना है ..........आपकी यह रचना ने चाँद सी शीतलता बिखेर दी हो मानो पूरे कायनात पे ............इस रचना मे गहरी प्रकृति से लगाव भी दिखती है..........आमीन
अद्भुत रचना ओम भाई...वाह...
नीरज
Om jee
dhup kee kalmee
achchh laga
ओम जी,
क्या खूब नव-उपमा है, धूप की कलमी, ठंड़ा सूरज
अभिन्न कल्पना, मजा आ गया।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
aap sab ka aashirvaad isi tarah bana raha to, maun ke khali ghar men aur bhi shabd aate rahenge aur main unhe aawaaj ki panah men lata rahunga.
aap sab ka bahut bahut dhanyavaad.
क्या बात है, बहुत खूब!!
omji aapko pranaam karne ka man kar raha hai isliye kar hi leta hoon............
kavita ki tah tak gaya hua kavi hi itni badi baat itne kam shabdon me kah sakta hai
waah !
waah !
____________bahut khoob !
aaj bahut dil kar raha tha ki aisa kcuh likh sakoon...likh to na paaya,par aapne aisa padhen ka mauka de diya...sachmuch bahut khushee huyee :)
www.pyasasajal.blogspot.com
बेहतरीन...यूं लगा जहन में उग आया ठंडा सा सूरज...सब कह दिया आपने...
प्यार की ऐसी ठंढक हो तो आग भी शीतल लगे ! बहुत खूब !
बहुत ही सुंदर और सरल रचना है!
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