ये कुछ अन्तिम पंक्तियाँ हैं
जिन्हें मैं लिख लेना चाहता हूँ
जल्दी से,
तुम्हारे प्यार में
उजला गहरा छलछलाता प्यार
जो कल तक तुम्हारी आंखों में दीखता था
बदल कर पीला हों चुका है
और ख्वाब किरचों में बदल कर
नींद को लहुलुहान कर चुके हैं
वो इन्तिज़ार भी अब ख़त्म होने को है
जिसके बाद
बेवफा की शिनाख्त हो जाती है
और उस पर मुहर लगा दी जाती है
इसके बाद
जो भी लिखा जाएगा
उसमे नफ़रत, एक अपरिहार्य भाव होगा
पर इससे पहले
मैं लिख लेना चाहता हूँ
अन्तिम पंक्तियाँ प्यार की
ताकि लौटा जा सके कभी उस प्यार में
और उसके ख्वाबों में
इस नफरत से उबर जाने के बाद।
14 comments:
वो इन्तिज़ार भी अब ख़त्म होने को है
जिसके बाद
बेवफा की शिनाख्त हो जाती है
और उस पर मुहर लगा दी जाती है
बहुत भावातिरेक में लिखी गई कवता है
वीनस केसरी
Waah ! Waah ! Waah !!!
Bahut hi sundar bhavpoorn abhivyakti....
antim panktiyan pyaar ki .............
WAAH WAAH ! KYA BAAT HAI !
कविता बेहतरीन तब होती है जब उसका सम्प्रेषण सरल हो, साथ ही, कविता बहु आयामी हो. इस कविता की सबसे बड़ी खूबी यह है कि सरलतम होने के साथ इसका कंटेंट किसी भी सब्जेक्ट पर फिट किया जा सकता है. मुक्त छंद की कविताओं की बाढ़ से अलग हटकर सफल रचना के लिए बधाई तथा भविष्य के लिए मेरी शुभकानाएं.
और ख्वाब किरचों में बदल कर
नींद को लहुलुहान कर चुके हैं
दर्द भरा एहसास .......जिसमे प्यार है और सिर्फ प्यार...उन्दा अभिव्यक्ति
bahut sundar boss.
is kavita ko padhkar dil ek alag se ahsaas me chala gaya .. behatreen lekhan . yun hi likhte rahe ...
badhai ...
dhanywad.
vijay
pls read my new poem :
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/05/blog-post_18.html
मैं तो खो गया यहां आकर. सब की सब रचनायें एक से एक हैं. बधाई.
लिखते रहिये.
बहुत ख़ूबसूरत कविता लिखा है आपने जो दिल को छू गई!
ओमजी प्यार की इतनी सशक्त अभिव्यक्ति क४ए बाद नफरत की बात कुछ जमी नहीं ,अंतिम पंक्तियाँ प्यार की .............,बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ,अच्छी रचना के लिए बधाई
मेरे प्रिय कवि आलोक श्रीवास्तव की कविताओं जैसी टोन है इन पंक्तियों में । बेहतरीन कविता । आभार ।
ताकि लौटा जा सके कभी उस प्यार में
और उसके ख्वाबों में
इस नफरत से उबर जाने के बाद।
bahut khoobsurat,
adbhut...
hridayspashi !!!
pyar ka anokha ahsaas aur sundar lekhan ko vyakt karti rachna
खूबसूरत भाव हैं रचना के ओम भाई। आपने कहा-
इसके बाद
जो भी लिखा जाएगा
उसमे नफ़रत, एक अपरिहार्य भाव होगा
किसी शायर ने कहा है कि-
नफरत को मुहब्बत का एक शेर सुनाता हूँ।
मैं लाल पिसी मिर्ची पलकों से उठाता हूँ।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.
मौन के खाली घर मे तो मुझे भी निशब्द रहना पडेगा ना मगर इतनी गहरी संवेदना् मे बहुत कुछ कहने का मन होता है बहुत सशक्त रचना आभार्
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