निः शब्द........ओम जी.....आप शब्दों को बुनते हैं....अपने रंग डाल कर, खूबसूरत रंग बना देते हो........ बहुत दूर तक जाती है आपकी कविता...... गहरे उतरती है........ लाजवाब
आर्य जी, कविता की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि सम्प्रेषण कठिन न हो. आप ने तो सरलतम शब्दों में इतनी बड़ी बात कह डाली है जो बहुतेरे महाकाव्य लिख कर भी सम्प्रेषित नहीं कर पाते. मैं मस्का नहीं लगा रहा, जो दिल ने महसूस किया, वही बता रहा हूँ.
19 comments:
खूबसूरत ख्याल..
मैं नहीं चाहता कि
रात भर तुम मेरे साथ
रह कर मेरे ख्वाबो में
किसी और की सुबह से दिन शुरू करो.
इस बेमिसाल चाहत में
पवित्रता बेहिसाब है
khayal achchha hai.
bahut achchhi bhavabhivyakti
आपकी कविताओं की संवेदनात्मक अनुभूतियाँ हतप्रभ करती हैं । मैं सम्मोहित हूँ ।
अद्भुत!!!
aanand ki lahar.................
umda kavita !
सही आपकी भावनाये इतनी कोमल होती है कि हमे
बार बार पढने के लिये सम्मोहित अवश्य करती है
कविता के भाव मे पवित्रता भी कुट कुटकर भरी रहती है ....
अतिसुन्दर
gazab....!!
कविता के शीर्षक ने बडी उम्मीदें जगा दी थीं मित्र
पर आपने पता नहीं क्यों इतनी जल्दी ख़त्म कर दिया फसाना।
वाह लाजवाब अंदाज़ शुभकामनायें
निः शब्द........ओम जी.....आप शब्दों को बुनते हैं....अपने रंग डाल कर, खूबसूरत रंग बना देते हो........ बहुत दूर तक जाती है आपकी कविता...... गहरे उतरती है........ लाजवाब
khoobsoorat khayal......shandaar
khoob!
बढियां अंदाज़ .
ache bhav
सुबह को खिड़की पे रखने का ख़याल बहुत अच्छा है....उम्दा रचना.....बधाई हो....
साभार
हमसफ़र यादों का.......
umda tasavvur. badhai.
आर्य जी, कविता की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि सम्प्रेषण कठिन न हो. आप ने तो सरलतम शब्दों में इतनी बड़ी बात कह डाली है जो बहुतेरे महाकाव्य लिख कर भी सम्प्रेषित नहीं कर पाते. मैं मस्का नहीं लगा रहा, जो दिल ने महसूस किया, वही बता रहा हूँ.
मैं नहीं चाहता कि
रात भर तुम मेरे साथ
रह कर मेरे ख्वाबो में
किसी और की सुबह से दिन शुरू करो.
अनन्यतम् अभिव्यक्ति
श्याम
बातें उनकी हुई झिड़कियों की तरह
जख्म मेरे खुले खिड़कियों की तरह
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