वहीं पे है पडा अभी तक वो जाम साकी
निकल आया तेरे मयखाने से ये बदनाम साकी
नजर में ठहरी हुई है वो तेरी महफिल अभी तक
जो पी आया तेरे होठो से एक कलाम साकी
हो न जाये ये परिंदा कोई गुलाम
कहते हैं शहर में बिछे हैं पिंजडे तमाम साकी
मुझे मालूम है मेरी गुमनामी के बारे में
तमन्ना है तुझको करे सब सलाम साकी
लिखने लगे जो अपनी दास्तान साकी,
उसमें आने लगा बार बार तेरा नाम साकी
खुदा हाफिज़ करने में है न अब कोइ गिला
उसकी तरफ से आ गया है मुझको पैगाम साकी
23 comments:
हो न जाये ये परिंदा कोई गुलाम
कहते हैं शहर में बिछे हैं पिंजडे तमाम साकी...
बेहतरीन लाइनें .
बहुत ही सुन्दर
मुझे मालूम है मेरी गुमनामी के बारे में
तमन्ना है तुझको करे सब सलाम साकी
बहुत अरसे बाद जाम और साकी पर ग़ज़ल पढ़ी है...ग़ज़ल के पुराने दिन लौट आये जैसे..
नीरज
अब तो तारीफ ले ले मेरी,
तूने बहुत प्यारी गजल सुनाई साकी।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
नमस्कार ओंम जी,
लाजवाब रचना है, मुझे ये शेर खासतौर से पसंद आया
"नजर में ठहरी हुई है वो तेरी महफिल अभी तक
जो पी आया तेरे होठो से एक कलाम साकी"
Behad sundar rachana..Neeja ji ne sahee kaha !Itne,saral, sachhe alfaaz!
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Comment ke shukrguzar hun!
Phir ekbaar isee rachnaa pe comment karnese khud ko rok nahee paa rahee hun...!
हो न जाये ये परिंदा कोई गुलाम
कहते हैं शहर में बिछे हैं पिंजडे तमाम साकी...
Is tarah kee kalpana aapke dimag me aatee kaise hai?
मुझे मालूम है मेरी गुमनामी के बारे में
तमन्ना है तुझको करे सब सलाम साकी
ओम जी............ लाजवाब शेर कहे हैं आपने........... मज़ा आ गया
aapke es gazal ka nasha chha gaya hai...
प्रभावशाली रचना
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चर्चा । Discuss INDIA
'मुझे मालूम है मेरी गुमनामी के बारे में
तमन्ना है तुझको करे सब सलाम साकी'
वाह !
मुझे मालूम है मेरी गुमनामी के बारे में
तमन्ना है तुझको करे सब सलाम साकी
bahout acha likha hai aap ne
jaam aur saki
wah wah
ओम , ...आपकी मेरे "कविता " ब्लॉग पे टिप्पणी पढी ...गर आप ऐसा नही लिखते तो यक़ीन मानिये , मै बिना टिप्पणी दिए चुपचाप निकल जाती ...!
और भी हैं , कहनेवाले ...
एक हमही नही अकेले ...!
snehadar sahit
shama
सुन्दर भावो के साथ ..........साकी एक खुबसूरत रचना
खुदा हाफिज़ करने में है न अब कोइ गिला
उसकी तरफ से आ गया है मुझको पैगाम साकी
ये पंक्तियाँ मेरे दिल के करीब लगी ......
आभार
लिखने लगे जो अपनी दास्तान साकी,
उसमें आने लगा बार बार तेरा नाम साकी
bahut hi sundar rachana .aap mere blog na aate to aapki kavita padhne ka aanand na milata .is raste se jodne ke liye shukriya .
bahut uttam kavya mantra mukta kar diya.... aanand se bhar diya....
achha nasha karwaya aapne.... bahut achha likha hai aapne
आप सब का आर्शीवाद सर आँखों पे. आशा है कृपा बनाये रखेंगे.
खुदा हाफिज़ करने में है न अब कोइ गिला
उसकी तरफ से आ गया है मुझको पैगाम साकी
बहुत सुन्दर...
ek behad prabhvshali gazal ki rachana ki hai aapne.
हो न जाये ये परिंदा कोई गुलाम
कहते हैं शहर में बिछे हैं पिंजडे तमाम साकी
sashkt abhivykti.
वहीं पे है पडा अभी तक वो जाम साकी
निकल आया तेरे मयखाने से ये बदनाम साकी
बहुत सुन्दर
वीनस केसरी
रिंद, मयखाना,शराब, मीना और जाम साकी,
इसी में ढूंढ़ते रहे वजूद अपना ,उम्र तमाम साकी ||
बिखरता नहीं कोइ वजूद तेरी बेरुखी से ऐ साकी ,
नश्तर है तेरी बेरुखी नज़रें इनायत पाने के बाद ||
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