Wednesday, June 17, 2009

मांग लेना मेरी उँगलियों की मदद

ख्वाब बुनने में
कभी उलझ जाए कोई ताना,
छूटने लगे कोई सिरा कभी
या फ़िर घिस जाए, टूट जाए


कभी महसूस हो जरूरत
तो संकोच मत करना

अवश्य मांग लेना मेरी उँगलियों की मदद

तुम्हारे ख्वाब के ताने
नही होंगे मेरे न सही,
पर उन तानो पे
मेरा स्पर्श
मुझे बचाता रहेगा
अपने होने की व्यर्थता के एहसास से

21 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा रचना!!

मुकेश कुमार तिवारी said...

ओम जी,

बड़ी नाजुक सी रचना, शब्दों का खूबसूरत ताना-बाना भावनाओं को एकवट करता हुआ।

बधाई,

सादर,


मुकेश कुमार तिवारी

विवेक said...

बहुत सुंदर...ये पंक्तियां तो जहन को छूती हुई सी गुजरीं...भावों की खुश्बू छोड़ते हुए...

Vinay said...

बहुत सुन्दर काव्य

---
गुलाबी कोंपलें

डिम्पल मल्होत्रा said...

तुम्हारे ख्वाब के ताने
नही होंगे मेरे न सही,sunder or sache ahsaas..

Vishawjeet Saini said...

Om ji bahut hi achi rachna likhi hai aapne

Unknown said...

komalta aur nazuki ki koi paribhasha hai toh vah aapki bhaasha hai omji,
badhaai !

vandana gupta said...

kya khoob likha hai.......umda rachna

डॉ .अनुराग said...

दिलचस्प.....आप भी गुलज़ार भक्त मालूम होते है

दिगम्बर नासवा said...

वाह..............मांग लेना मेरी उंगलियाँ ख्वाब बुनने में...........बेहद खूबसूरत...........प्रेम की पराकाष्ठा.........

संध्या आर्य said...

अनुराग के इस राग मे,मानो ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वीणा के तानो पर एक आन्न्दमयी राग बहे जा रही हो........भरोसे को स्पर्श करती हुई....सुन्दर रचना

वन्दना अवस्थी दुबे said...

बहुत ही शानदार.बधाई.

निर्मला कपिला said...

ओम जी अपकी कवितायें इतनी भावमय होती हैं कि दिल को छू लेती हैऔर आदमी संवेदनाओं के सागर मे गोते खाने लगता है आभार्

Science Bloggers Association said...

"मांग लेना मेरी उंगलियों की मदद"
बहुत सुंदर विचार हैं। बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Yogesh Verma Swapn said...

sunder abhivyakti omji, badhai.

रंजन said...

बहुत खुब.. बधाई.

Arvind Kumar said...

bahut behtareen...gazab ka likha hai aapne

वीनस केसरी said...

ख्वाब बुनने में
कभी उलझ जाए कोई ताना,
छूटने लगे कोई सिरा कभी
या फ़िर घिस जाए, टूट जाए


बिलकुल गुलज़ार टाइप कविता है

बहुत सुन्दर

वीनस केसरी

Urmi said...

बहुत ही सुंदर भाव के साथ आपने ये ख़ूबसूरत और उम्दा रचना लिखा है जो काबिले तारीफ है !

M VERMA said...

तुम्हारे ख्वाब के ताने
नही होंगे मेरे न सही,
पर उन तानो पे
मेरा स्पर्श
मुझे बचाता रहेगा
अपने होने की व्यर्थता के एहसास से
क्या कहने ओम जी,
सादगी से कहने का आपका अन्दाज़ बहुत प्यारा है

IMAGE PHOTOGRAPHY said...

ख्वाब का ताना बाना बुनाना बहुत कटिन है, पर बुन रहा है तो ताना बाना उँगलियों की मदद ले लेना चहिये