Sunday, June 28, 2009

इश्क में

रिश्ते घने हो जाते हैं जब
कोहरे की तरह,
तो इश्क हो जाते हैं

तभी तो दिखाई नही देता
कुछ भी इश्क में.

21 comments:

विनोद कुमार पांडेय said...

rishte ghane ho jate hai.

bahut sundar om ji..
achcha laga..badhayi..

डॉ. मनोज मिश्र said...

कुछ भी इश्क में....जायज है .

Ashutosh said...

bahut accha likha hai aapne, maza aa gaya.

हिन्दीकुंज

Himanshu Pandey said...

लघुता में बहुत कुछ । आभार ।

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर वर्णन इश्‍क की खूबी का . . .

डिम्पल मल्होत्रा said...

aasma se unchha..sagar se gahra..ishq ankho se anda or kano se bahra...

Abhishek Ojha said...

जिसने इश्क किया है वही समझ सकता है :)

Anonymous said...

baat ishk ki hai to kahna hi kya

निर्मला कपिला said...

वाह वाह गागर मे सागर अन्दाज़ अच्छा है बधाई

सागर said...

प्रिय ॐ बावरा जी,

''इश्क में और कुछ नहीं होता;
आदमी 'बावरा' सा रहता है''

Anonymous said...

बहुत सुन्दर ओम भाई...

संध्या आर्य said...

एक सुन्दर अभिव्यक्ति .............इश्क कोहरे से घना होता है बहुत हि सुन्दर पंक्ति ..............बहुत बढिया

admin said...

बहुत प्यारा तर्क दिया है भाई। इस खूबसूरत सोच के लिए कुबूल फरमाएं बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

परमजीत सिहँ बाली said...

ये इश्क होता ही ऐसा है.....बहुत सही लिखा।

दिगम्बर नासवा said...

Vaah kyaa baat hai........ kuch hi laainon mein gahri baat

Vinay said...

वाह साहब!

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चर्चा । Discuss INDIA

Udan Tashtari said...

बहुत सही!!

प्रकाश गोविंद said...

वाह .... बहुत खूब
क्या अंदाज है

जिस बात को कहने के लिए लोग उपन्यास की रचना करते हैं वो आपने कितनी सहजता से कुछ ही शब्दों में कह दिया !

बधाई व शुभकामनाएं

आज की आवाज

वन्दना अवस्थी दुबे said...

वाह!!!!!!!

Anonymous said...

वाह कविवर बहुत सुंदर लिखा है, लगता है थोड़ी देर हो गयी आने में.......पिछली रचनाएँ भी अत्यंत भावपूर्ण हैं......यूं ही लिखते रहें......

साभार
हमसफ़र यादों का.......

Urmi said...

वाह वाह क्या बात है! बहुत बढ़िया! सच में जब इश्क हो जाता है तब सामने कुछ भी दिखाई नहीं देता! अच्छी पेशकश!